Thursday, September 1, 2016

स्वाभाव

एक महात्मन एक दिन किसी नदी में स्नान कर रहे थे तभी उन्होंने देखा की एक बिछु नदी की धार में डुब रहा है. महात्मन को दया आयी और उन्होंने बिछु को बचने के लिए उसे अपनी हथेली पे उठाया और जैसे ही बाहर रेत पे रखने जा रहे थे की बिछु ने डंक मर दिया, महात्मन दर्द से बिलबिला गए और उनका हाथ हिलने से बिछु  फिर से जल में गिर गया. महात्मन पुनः बिछु को अपनी हथेली पे उठाया और बिछु के पुनः डंक मार दिया।

यह प्रक्रिया चलती रही तो साथ में स्नान करने वाले चेलों से रहा नहीं गया वो पूछ पड़े, 'गुरुदेव' आप व्यर्थ ही उस बिछु को बचने की चेस्टा कर रहे हैं वो आपको बार बार डंक मार दे रहा है.

महात्मन मुस्कुराये और बोले, डंक मरना बिछु का स्वाभाव है और दूसरों की सहायता करना मनुष्य का. जब यह जानवर होकर भी अपना स्वाभाव नहीं छोड़ रहा तो मैं एक महुष्य हूँ उससे श्रेष्ठ, अपना  स्वाभाव कैसे छोड़ दूँ।

और अंततः कई प्रयासों के बाद महात्मन बिछु को बचने में सफल हो ही गए.

जय हो !

डैडी हु इस दिस ब्लू गाए ?

प्रिय मित्र और भ्राता रितेश की ३ साल की छोटी बिटिया सोनम,  बचपन से स्कॉटलैंड में रह रही है तो भारतीय संस्कृति से ज्यादा परिचित नहीं थी.

दूरदर्शन पे एक दिन 'महादेव' नमक कार्यक्रम चल रहा था और उसमें शंकर जी को पूरा नीलवर्ण दिखाया गया था. हालाँकि विष पिने से शंकरजी का सिर्फ कंठ नीला हुआ था इसीलिए उनको नीलकंठ भी कहते हैं पर मूर्तिकार और चित्रकार अक्सर उन्हें पूरा ही नीला प्रदर्शित कर देते हैं.

खैर अचानक सोनम ने पूछा

'डैडी हु इस दिस ब्लू गाए ?'

लीजिये, दीजिये जवाब :)

आज भी यह बात छिड़ते ही सोनम झेंप जाती है :)

हा हा हा.........

पिताजी के तर्क - 1

प्रातःकाल मैया, बिटिया की तेल मालिश कर रही थी और मैं प्यार से उसे पुचकार रहा था। 'बेटू' आप थक गए हैं काम करते करते इसीलिए दादीजी आपकी मालिश कर रहे हैं, बहुत थक गए हैं? वदन दर्द दे रहा है?

पिताजी पास ही बैठे थे अनायास ही पूछ पड़े, अच्छा बताईये आप काम क्यों करते हैं ?
मैं उनके प्रश्न से उचकाया और यूँही बोला : पैसा कमाने के लिए ...
पिताजी: और धन अर्जन का मुख्य उद्देश्य क्या है ..
मैं : खुश रहना। ...
पिताजी(मंद मंद मुस्कुराते हुए) : हम्म्म्म। ... तो मुख्य उद्देश्य खुश रहना है, .. और वो काम ये छोटी अबोध बच्ची करती है, सबको खुश रखती है. जो भी कोई देखता है उसको खुश कर देती है. कितना काम करती है ये सोचिये, थक तो जाती ही होगी तो इसकी मालिश तो बहुत जरुरी है :)

और आज पुनः पिताजी के तर्क के आगे मैं निरुत्तर हो गया :)